शारदीय दुर्गा पूजा 2024: किस वाहन से हो रहा है माँ का आगमन?

हिंदू त्योहारों का मौसम गणेश चतुर्थी के दिन से शुरू होता है और एक के बाद एक होली और चैत्र नवरात्रि तक जारी रहता है। गणेश चतुर्थी के बाद अगले बड़े त्योहार हैं नवरात्रि और दुर्गा पूजा। नवरात्रि और दुर्गा पूजा दोनों ही देवी दुर्गा को समर्पित हैं। नवरात्रि नौ दिनों का त्योहार है जिसमें माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है और भक्तों का मानना है कि इन सभी नौ दिनों में माँ इस धरती पर अवतरित होती हैं और हमारे घर आती हैं। दुर्गा पूजा पांच दिनों का त्योहार है जिसमें मान्यता है की माँ दुर्गा अपने बापेर बाड़ी (पिता का घर, जो कि यह पृथ्वी है) आती है। यह माना जाता है कि अपनी एक ऐसे ही यात्रा के दौरान, माँ दुर्गा ने राक्षस राजा महिषासुर का वध किया था। दोनों त्योहारों में, भक्त देवी शक्ति की पूजा करते हैं, जिनको इस ब्रह्माण्ड का ऊर्जा शक्ति (पावर हाउस) मन जाता है।
माँ दुर्गा के भक्त उनके आगमन को लेकर बहुत उत्साहित रहते हैं और यह जानना चाहते हैं इस बार वह धरती पर किस वाहन से अवतरित होंगी। इस बार वह कौन सा वाहन चुनेंगी, क्योंकि उनके आने के वाहन का भी एक महत्व है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माँ इस शारदीय दुर्गा पूजा 2024 पर पालकी/डोला पर आ रही हैं। आप पूछेंगे ऐसा क्यों। देवी दुर्गा का वाहन उनके आगमन के दिन पर आधारित है, क्योंकि सप्ताह के प्रत्येक दिन को एक वाहन के साथ जोड़ा गया है। देवी के पांच वाहन हैं। शेर को छोड़ बाकि चार वाहन का ही वो यातायात में प्रयोग करती हैं दुर्गा पूजा के समय।
जैसा कि देवी पुराण में बताया गया है,
दिनशशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥
गजेश जलदा देवी क्षत्रभंग तुरंगमे।
नौकायां कार्यसिद्धिस्यात् दोलायों मरणधु्रवम्॥
अर्थ,
रविवार और सोमवार को भगवती हाथी पर आती हैं, शनि और मंगल वार को घोड़े पर,
बृहस्पति और शुक्रवार को डोला पर, बुधवार को नाव पर आती हैं।
दुर्गा हाथी पर आने से अच्छी वर्षा होती है, घोड़े पर आने से राजाओं में युद्ध होता है।
नाव पर आने से सब कार्यों में सिद्ध मिलती है और यदि डोले पर आती है तो उस वर्ष में अनेक कारणों से बहुत लोगों की मृत्यु होती है।
उपरोक्त श्लोक माँ दुर्गा के आगमन के लिए परिवहन के तरीके को दर्शाता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि देवी पक्ष किस दिन शुरू होता है। महालय अमावस्या वह दिन है जो पितृ पक्ष की अवधि के अंत और देवी पक्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
किस वाहन से हो रहा है माँ का आगमन?
हर साल नवरात्रि और दुर्गा पूजा के दौरान माँ दुर्गा आने के लिए किस वाहन का चयन करती हैं, यह त्योहार शुरू होने वाले सप्ताह के दिन पर निर्भर करता है। पूजा समाप्त होने के बाद प्रस्थान करते समय वाहन के लिए भी यही स्थिति है। वैसे तो माँ का मुख्य वाहन सिंह है लेकिन वार के अनुसार वाहन हर साल बदलता है जिसका का कुछ न कुछ संकेत होता है।
ऐसा माना जाता है कि रविवार और सोमवार को माता हाथी पर सवार होकर आती और प्रस्थान करती हैं; मंगलवार और शनिवार को घोड़े की सवारी करना; बुधवार को, नाव से; और गुरुवार और शुक्रवार को पालकी के माध्यम से। आम तौर पर, वह एक ही वाहन से आती और जाती नहीं है, और यदि वह ऐसा करती है, तो यह मानव जाति और उनके कल्याण के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जाता है।
जिस दिन से नवरात्रि या देवी पक्ष शुरू होता है उसे दुर्गा आगमन का दिन माना जाता है। कुछ मतों के अनुसार, दुर्गा पूजा के लिए सप्तमी के दिन को माँ के आगमन का दिन माना जाता है। इस बार दोनों नवरात्री का प्रतिपद (3 अक्टूबर से शुरूहो रहा है) और सप्तमी (10 अक्टूबर को है) गुरुवार के दिन ही है, इसीलिए दोनों मतों के अनुसार माँ का आगमन पालकी/डोला में होने वाला है।
उपरोक्त श्लोक के अनुसार यदि माँ दुर्गा का आगमन गुरुवार और शुक्रवार को होता है तो ऐसा माना जाता है कि वह पालकी/डोला पर सवार होकर आती हैं। पालकी/डोला पर सवार होकर आना बहुत ही अशुभ माना जाता है। यह देशों के बीच संभावित युद्ध का संकेत है। साथ ही इससे अर्थव्यवस्था में गिरावट, हिंसा, देश-दुनिया में महामारी के बढ़ने और व्यापार में मंदी के संकेत मिलते हैं। इस वर्ष नवरात्रि/दुर्गा पूजा पर माँ दुर्गा पालकी/डोला पर सवार होकर आ रही हैं और घोड़े पर वापस भी कर रही हैं, जो अशुभ माना जाता है।
नवरात्री और दुर्गा पूजा समय
हिंदू पंचांग के अनुसार,आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्रि का समय रहेगा। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 3 अक्टूबर से हो रही है, जिसका समापन 12 अक्टूबर 2024 को होगा। दुर्गा पूजा आधिकारिक तौर पर महाषष्ठी यानी 9 अक्टूबर, 2024 को शुरू हो रही है और समापन 12 अक्टूबर 2024 को होगा।
माँ दुर्गा के वाहन और उनके संकेत
- पालकी पर आना: अशुभ संकेत
- घोड़े पर आना: अशुभ संकेत
- हाथी पर आना: बहुत शुभ
- नाव पर आना: बहुत शुभ