मोक्षदा एकादशी: समय, व्रत कथा, पूजा विधि और महत्व

मोक्षदा एकादशी, शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि (एकादशी) को आती है, जो हिंदू कैलेंडर के मार्गशीर्ष महीने में पड़ती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से यह नवंबर-दिसंबर के बीच आती है। इसका नाम ही बताता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने वाले को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति (मोक्ष) मिलती है और भगवान विष्णु के वैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है। यह एकादशी पूरे भारत में भक्ति और उत्साह के साथ मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी को कुछ लोग ‘मौन एकादशी’ या ‘मौन अग्यारस’ या ‘गीता एकादशी’ भी कहते हैं। इस दिन कई भक्त मौन रहकर व्रत करते हैं। दक्षिण भारत और उड़ीसा के आस-पास के क्षेत्रों में इसे ‘वैकुंठ एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एकादशी बहुत खास मानी जाती है क्योंकि इसके पालन से जीवन में किए गए सभी पापों और बुरे कर्मों के लिए क्षमा मिलती है।
मोक्षदा एकादशी 2024 पारण समय और तिथियां
- मोक्षदा एकादशी की तिथि – बुधवार, 11 दिसंबर 2024
- पारण का समय – गुरुवार, 12 दिसंबर 2024, सुबह 6:58 बजे से 9:07 बजे तक
- द्वादशी समाप्ति समय – 12 दिसंबर 2024 को रात 10:26 बजे
- एकादशी तिथि प्रारंभ – 11 दिसंबर 2024 को सुबह 3:42 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त – 12 दिसंबर 2024 को रात 1:09 बजे
पारण का समय व्रत खोलने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसे द्वादशी तिथि के भीतर ही करना चाहिए। पारण के लिए उपयुक्त समय का ध्यान रखना और विधि-विधान से व्रत तोड़ना शुभ माना जाता है।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, मोक्षदा एकादशी व्रत का पालन करने से न केवल व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पाता है, बल्कि अपने पितरों को भी मोक्ष प्रदान कर सकता है।
यह दिन ‘गीता जयंती’ के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था। इस वजह से यह दिन भगवान विष्णु के भक्तों, विशेषकर वैष्णवों के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
इस दिन किसी योग्य व्यक्ति को भगवद गीता भेंट करना बेहद पुण्यदायक माना जाता है। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
विष्णु पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में मोक्षदा एकादशी का महात्म्य वर्णित है। ऐसा कहा गया है कि इस एकादशी की कथा सुनने मात्र से अश्वमेध यज्ञ जितना पुण्य प्राप्त होता है।
यह भी बताया गया है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत पूरे वर्ष में आने वाली अन्य 23 एकादशियों के सम्मिलित पुण्य के बराबर फल देता है।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने से व्यक्ति को जीवन के सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी की महानता इतनी है कि इसे पूरे समर्पण और श्रद्धा से करने वाले को अपार पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन समय में चंपक नगर नामक एक सुंदर नगरी थी, जहां वैखानस नाम के राजा राज करते थे। वे अपनी प्रजा का पालन पिता के समान करते थे। एक रात राजा ने स्वप्न में अपने पितरों को पाताल लोक में दुख भोगते हुए देखा। यह देखकर राजा बहुत व्यथित हो गए। अगले दिन उन्होंने अपने स्वप्न की बात अपने राज्य के विद्वान ब्राह्मणों को बताई।
राजा ने कहा, “हे ब्राह्मणों! मैंने अपने पितरों को नरक में कष्ट झेलते हुए देखा। वे बार-बार मुझसे प्रार्थना कर रहे थे, ‘तुम हमारे वंशज हो, हमारी मुक्ति का उपाय करो।’ मैं यह देखकर बहुत दुखी हूँ। कृपया मुझे ऐसा कोई उपाय बताइए जिससे मेरे पितर तुरंत नरक से मुक्त हो सकें।”
ब्राह्मणों ने कहा, “हे राजन, पास ही पर्वत मुनि का आश्रम है। वे भूत, भविष्य और वर्तमान के ज्ञाता हैं। आप उनके पास जाएं।”
राजा पर्वत मुनि के आश्रम पहुंचे और उन्हें प्रणाम कर अपनी समस्या बताई। मुनि ने ध्यान लगाकर राजा से कहा, “हे राजन, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘मोक्षदा एकादशी‘ कहा जाता है। आप इसका व्रत करें और इसका पुण्य अपने पितरों को अर्पित करें। इससे वे निश्चित ही नरक से मुक्त हो जाएंगे।”
राजा ने मुनि की बात मानी और मार्गशीर्ष माह में मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। व्रत का पुण्य उन्होंने अपने पितरों को समर्पित किया। तुरंत ही आकाश से पुष्प वर्षा हुई, और उनके पितर स्वर्ग की ओर जाते हुए बोले, “पुत्र, तुम्हें आशीर्वाद मिले।”
श्रीकृष्ण ने कहा कथा सुनाते हुए धर्मराज से कहा, “हे कुंतीनंदन! जो भी व्यक्ति इस मोक्षदा एकादशी का व्रत करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी का महत्व इतना है कि इसकी कथा सुनने से भी वजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।”
मोक्षदा एकादशी पर किए जाने वाले अनुष्ठान
- मोक्षदा एकादशी के दिन भक्तों को सूर्योदय के समय उठकर स्नान करना चाहिए। यह दिन पवित्रता और भक्ति के साथ शुरू होता है।
- इस दिन का व्रत बिना भोजन और पानी के किया जाता है। व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक चलता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति हर साल श्रद्धापूर्वक यह व्रत करता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- जो लोग पूरा व्रत नहीं रख सकते, वे आंशिक उपवास कर सकते हैं। इसमें दूध, फलों, और अन्य शाकाहारी भोजन का सेवन किया जा सकता है। गर्भवती महिलाएं भी इस प्रकार का उपवास रख सकती हैं।
- भगवान विष्णु के भक्तों के लिए बेल के पत्तों का सेवन शुभ माना गया है।
- इस दिन भगवान विष्णु की आराधना पूरी श्रद्धा और भक्ति से की जाती है। पूजा के दौरान तुलसी पत्र और घी के दीपक का उपयोग करना अनिवार्य है।
- मोक्षदा एकादशी के अवसर पर ‘भगवद गीता’ का पूजन और पाठ करना शुभ माना जाता है। कई मंदिरों में इस दिन गीता के उपदेश भी पढ़े जाते हैं।
- मोक्षदा एकादशी पर ‘भगवद गीता’, ‘विष्णु सहस्रनाम’, और ‘मुकुंदाष्टकम’ का पाठ करना बहुत ही सही माना जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्र – मोक्षदा एकादशी का महत्व क्या है?
उ – मोक्षदा एकादशी का बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
प्र – मोक्षदा एकादशी के क्या नियम है?
उ – पूजा के दौरान तुलसी पत्र और घी के दीपक का उपयोग करना अनिवार्य है।
प्र – मोक्षदा एकादशी पर क्या दान कर सकते हैं?
उ – इस दिन किसी योग्य व्यक्ति को भगवद गीता भेंट करना बेहद पुण्यदायक माना जाता है।