पार्श्व एकादशी 2024 – तिथि, व्रतकथा, महत्व और विधि।

पार्श्व एकादशी, जिसे “उपवास का त्यौहार” भी कहा जाता है, हिंदू संस्कृति में बहुत महत्व रखती है। इसे दुनिया भर में लाखों हिंदू बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाते हैं। यह पवित्र अवसर चंद्र पखवाड़े के ग्यारहवें दिन (एकादशी) को पड़ता है, और इसे आध्यात्मिक शुद्धि के लिए शुभ माना जाता है। पार्श्व एकादशी का महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं में ब्रह्मांड के संरक्षक भगवान विष्णु के साथ इसके जुड़ाव में निहित है।
पार्श्व एकादशी का नाम “पार्श्व” शब्द से लिया गया है, जिसका संस्कृत में अर्थ है “पक्ष” या “मोड़ना”। यह त्यौहार चतुर्मास काल में मनाया जाता है जौ कि हिंदू धर्म में चार महीने का पवित्र काल है जब भगवान विष्णु शयन के लिए जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु बाईं ओर से दाईं ओर मुड़ते हैं। इसलिए, इस दिन भगवान विष्णु से समृद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए आशीर्वाद लेने के लिए पार्श्व एकादशी मनाई जाती है।
पार्श्व एकादशी 2024 तिथि व मुहुर्त
सूर्योदय: 14 सितंबर, 2024 6:17 पूर्वाह्न
सूर्यास्त: 14 सितंबर, 2024 6:27 अपराह्न
एकादशी तिथि प्रारंभ: 13 सितंबर, 2024 10:30 अपराह्न
एकादशी तिथि समाप्त: 14 सितंबर, 2024 8:41 अपराह्न
द्वादशी समाप्ति क्षण: 15 सितंबर , 2024 6:12 अपराह्न
हरि वासर समाप्ति क्षण: 15 सितंबर, 2024 2:04 पूर्वाह्न
पारण समय: 15 सितंबर, 6:17 पूर्वाह्न – 15 सितंबर, 8:43 पूर्वाह्न
पार्श्व परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
इस दिन भगवान विष्णु की वामन रूप में पूजा की जाती है। पार्श्व परिवर्तिनी एकादशी का महत्व भगवान कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को ब्रह्म वैवर्त पुराण में बताया था। यह एकादशी व्रत चातुर्मास काल की अन्य एकादशियों की तुलना में अधिक पवित्र माना जाता है, तथा इससे प्राप्त होने वाला पुण्य भी उच्च मनोबल और मूल्य वाला होता है।
पार्श्व परिवर्तिनी एकादशी व्रत के लाभ
पवित्र ग्रंथों के अनुसार, पार्श्व परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पालन करने से निम्नलिखित आशीर्वाद प्राप्त होते हैं:
- भगवान विष्णु से सभी पापों के लिए क्षमा मांगने में मदद मिलती है।
- शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है और मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है।
- जन्म और मृत्यु के निरंतर चक्र से मुक्ति दिलाता है।
- इच्छाशक्ति को बढ़ाता है और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।
पार्श्व परिवर्तिनी एकादशी की कथा
पार्श्व परिवर्तिनी एकादशी से जुड़ी कथा भगवान विष्णु के वामन अवतार के बारे में है। एक बार महाबली नाम का एक राजा था, जो बहुत जिद्दी और घमंडी था। राक्षस एक अत्याचारी था, लेकिन भगवान विष्णु का एक उत्साही भक्त भी था। राक्षस राजा ने एक बार भगवान इंद्र को अपने राज्य से बाहर निकाल दिया, जिस पर इंद्र ने भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान ने खुद को एक बौने ब्राह्मण (वामन) के रूप में प्रच्छन्न किया और राजा बलि के पास गए। राजा ने उनकी इच्छा पूछी, और वामन ने तीन पग भूमि मांगी। राजा बलि ने उसी के लिए स्वीकार कर लिया, और फिर बौना आकाश को छूने वाला एक विशाल दैत्य बन गया। पहले कदम में, उन्होंने स्वर्ग को कवर किया, और दूसरे कदम में, उन्होंने पृथ्वी को माप लिया, तीसरे कदम के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी। राजा बलि ने खुद को भगवान विष्णु के रूप में पहचाना और तीसरे कदम के लिए अपना सिर झुकाया। भगवान ने उन्हें पाताल लोक (पाताल) में दबा दिया और उन्हें मोक्ष प्रदान किया।
पार्श्व एकादशी 2024 के दौरान किए जाने वाले महत्वपूर्ण अनुष्ठान
यहाँ पार्श्व एकादशी 2024 के कुछ महत्वपूर्ण अनुष्ठान दिए गए हैं। इन निर्देशों का पालन करके, कोई भी पार्श्व एकादशी पूजा कर सकता है।
- सबसे पहले, भक्तों को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और ब्रह्ममूर्त में स्नान करना चाहिए।
- इसके बाद, एक साफ कपड़ा पहनें और पूजा की तैयारी शुरू करें।
- पूजा के लिए, सबसे पहले एक पीला कपड़ा बिछाएँ और भगवान हरि विष्णु की मूर्ति या तस्वीरें रखें।
- पवित्र जल, अक्षत, तुलसी के पत्ते, पीले रंग के फूल या कमल, घी का दीपक, रोली और चंदन चढ़ाएँ।
- आपको अभिषेक के लिए पंचामृत भी तैयार करना चाहिए। इसके लिए, आपको दही, दूध, चीनी, शहद और घी की आवश्यकता होगी।
- विष्णु मंत्र और स्तोत्रम का जाप करते हुए सभी आवश्यक सामग्री अर्पित करके पूजा शुरू करें।
- शाम को परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर विशेष आरती की जाती है। भक्तों को पूरी रात जागकर भगवान विष्णु के प्रति भक्ति के रूप में भजन और कीर्तन में शामिल होना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों
प्र – पार्श्व एकादशी का महत्व क्या है?
उ – पार्श्व एकादशी व्रत चातुर्मास काल की अन्य एकादशियों की तुलना में अधिक पवित्र माना जाता है, तथा इससे प्राप्त होने वाला पुण्य भी उच्च मनोबल और मूल्य वाला होता है।
प्र – कौन सी एकादशी सबसे शक्तिशाली है?
उ – निर्जला एकादशी सबसे शक्तिशाली एकादशियों में से एक है।
प्र – कौन सी एकादशी अधिक शुभ है?
उ – देवशयनी एकादशी सबसे शुभ और पवित्र एकादशियों में से एक है।